लोग यूँ देख के हँस देते हैं
तू मुझे भूल गया हो जैसे
Ahmad Faraz
Gulzar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Anwar Masood
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बैठे बैठे उन की महफ़िल याद आ जाती है जब
तुम सादा-मिज़ाजी से मिटे फिरते हो जिस पर
हंगामा-ए-ख़ुदी से तू बे-नियाज़ हो जा
दिल की रग़बत है जब आप ही की तरफ़
मैं जिस रफ़्तार से तूफ़ाँ की जानिब बढ़ता जाता हूँ
और कुछ देर सितारो ठहरो
इस तरह आते हैं अंजाम-ए-मोहब्बत के ख़याल
शोरिश-ए-इश्क़ में है हुस्न बराबर का शरीक
भूरे भूरे बादलों से आसमाँ लबरेज़ है
'एहसान' ऐसा तल्ख़ जवाब-ए-वफ़ा मिला
रानाई-ए-कौनैन से बे-ज़ार हमीं थे
रात है बरसात है मस्जिद में रौशन है चराग़