Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_65771e33c679ee571bb5b8ea883b3be0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव पर - एहसान दानिश कविता - Darsaal

कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव पर

कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव पर

तोहमत तराशते हैं हवा के दबाव पर

मौसम है सर्द-मेहर लहू है जमाव पर

चौपाल चुप है भीड़ लगी है अलाव पर

सब चाँदनी से ख़ुश हैं किसी को ख़बर नहीं

फाहा है माहताब का गर्दूं के घाव पर

अब वो किसी बिसात की फ़ेहरिस्त में नहीं

जिन मनचलों ने जान लगा दी थी दाव पर

सूरज के सामने हैं नए दिन के मरहले

अब रात जा चुकी है गुज़िश्ता पड़ाव पर

गुल-दान पर है नरम सवेरे की ज़र्द धूप

हल्क़ा बना है काँपती किरनों का घाव पर

यूँ ख़ुद-फ़रेबियों में सफ़र हो रहा है तय

बैठे हैं पुल पे और नज़र है बहाव पर

मौसम से साज़ ग़ैरत-ए-गुलशन से बे-नियाज़

हैरत है मुझ को अपने चमन के सुभाव पर

क्या दौर है कि मरहम-ए-ज़ंगार की जगह

अब चारा-गर शराब छिड़कते हैं घाव पर

ताजिर यहाँ अगर हैं यही ग़ैरत-ए-यहूद

पानी बिकेगा ख़ून-ए-शहीदाँ के भाव पर

पहले कभी रिवाज बनी थी न बे-हिसी

नादिम बिगाड़ पर हैं न ख़ुश में बनाव पर

हर रंग से पयाम उतरते हैं रूह में

पड़ती है जब निगाह धनक के झुकाव पर

'दानिश' मिरे शरीक-ए-सफ़र हैं वो कज-मिज़ाज

साहिल ने जिन को फेंक दिया है बहाव पर

(944) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kuchh Log Jo Sawar Hain Kaghaz Ki Naw Par In Hindi By Famous Poet Ehsan Danish. Kuchh Log Jo Sawar Hain Kaghaz Ki Naw Par is written by Ehsan Danish. Complete Poem Kuchh Log Jo Sawar Hain Kaghaz Ki Naw Par in Hindi by Ehsan Danish. Download free Kuchh Log Jo Sawar Hain Kaghaz Ki Naw Par Poem for Youth in PDF. Kuchh Log Jo Sawar Hain Kaghaz Ki Naw Par is a Poem on Inspiration for young students. Share Kuchh Log Jo Sawar Hain Kaghaz Ki Naw Par with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.