मैं शर की शरारत से तो होश्यार हूँ लेकिन
अल्लाह बचाए तो बचूँ ख़ैर के शर से
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मंज़र है अभी दूर ज़रा हद्द-ए-नज़र से
ये दिल अजीब है अक्सर कमाल करता है
ज़ख़्म शादाब देखते हैं मुझे
पत्थर न बना दे मुझे मौसम की ये सख़्ती
ख़्वाब देखे थे टूट कर मैं ने
ता-अबद हासिल-ए-अज़ल हूँ मैं