दिवाकर राही कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का दिवाकर राही
नाम | दिवाकर राही |
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अंग्रेज़ी नाम | Divakar Rahi |
वक़्त को बस गुज़ार लेना ही
वक़्त बर्बाद करने वालों को
वक़ार-ए-ख़ून-ए-शहीदान-ए-कर्बला की क़सम
सोचने की ये बात है 'राही'
सवाल ये है कि इस पुर-फ़रेब दुनिया में
इस से पहले कि लोग पहचानें
इस इंतिज़ार में बैठे हैं उन की महफ़िल में
इस दौर-ए-तरक़्क़ी के अंदाज़ निराले हैं
ग़ुस्से में बरहमी में ग़ज़ब में इताब में
बहुत आसान है दो घूँट पी लेना तो ऐ 'राही'
बात हक़ है तो फिर क़ुबूल करो
ऐन-फ़ितरत है कि जिस शाख़ पे फल आएँगे
अगर मौजें डुबो देतीं तो कुछ तस्कीन हो जाती
अगर ऐ नाख़ुदा तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है
अबस इल्ज़ाम मत दो मुश्किलात-ए-राह को 'राही'
अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में
ज़रा भी शोर मौजों का नहीं है
कुछ आदमी समाज पे बोझल हैं आज भी
इस शहर-ए-निगाराँ की कुछ बात निराली है
हज़ारों बार कह कर बेवफ़ा को बा-वफ़ा मैं ने