Ghazals of Dinesh Naaidu
नाम | दिनेश नायडू |
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अंग्रेज़ी नाम | Dinesh Naaidu |
ज़माने ठीक है इन से बहुत हुए रौशन
रात से दिन का वो जो रिश्ता थी
पूछता कौन वफ़ा से उस की
मुझ में आबाद सराबों का इलाक़ा करने
मिरे कमरे में पूरी चाँदनी है
मिरा ये मलबा मिरा ख़राबा तुम्हारी यादों से लड़ रहा है
किस के सपनों से मिरी नींद सजी रहती है
जो भी निकले तिरी आवाज़ लगाता निकले
इक हरे ख़त में कोई बात पुरानी पढ़ना
डरा रहे हैं ये मंज़र भी अब तो घर के मुझे
चाक पर मिट्टी को मर जाना है