Khawab Poetry of Dinesh Naaidu
नाम | दिनेश नायडू |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Dinesh Naaidu |
ज़माने ठीक है इन से बहुत हुए रौशन
रात से दिन का वो जो रिश्ता थी
जो भी निकले तिरी आवाज़ लगाता निकले
डरा रहे हैं ये मंज़र भी अब तो घर के मुझे
चाक पर मिट्टी को मर जाना है