चाँद भी सितारों को साथ ले के चलता है

चाँद भी सितारों को साथ ले के चलता है

जाने क्यूँ भटकते हैं लोग बे-सबब तन्हा

देखिए अंधेरों के जिस्म कब पिघलते हैं

तीरगी ज़ियादा है और चराग़-ए-शब तन्हा

हम जिगर-फ़िगारों की इस अदा को क्या कहिए

बैठते हैं सब मिल कर सोचते हैं सब तन्हा

आप को न रास आई अंजुमन तो क्या होगा

हम तो काट ही लेंगे अपने रोज़-ओ-शब तन्हा

और हम कहाँ जाएँ किसी से रौशनी माँगें

शहर में तुम्हीं तो हो एक मह-लक़ब तन्हा

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