कैफ़ ही कैफ़ है फ़ज़ाओं में
रंग क्या रूप भी शराबी है
तोड़ लेने दो सेब पेड़ों से
हाँ! तबीअत बड़ी गुलाबी है
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थोड़ी मय नज़्र-ए-जाम कर दीजे
मंदिरों, मस्जिदों की दुनिया में
तेरे सर पर जुनून है प्यारे
दिल की महफ़िल को सजाया है बड़ी देर के ब'अद