वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट
क़ाएदा ये है कि इंग्लिश में दुआ दी जाए
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लंदन में जश्न-ए-ग़ालिब
अमरीका शेर पढ़ने गए थे हमारे दोस्त
इश्क़ का परचा
तमाशा मिरे आगे
हुस्न पर ए'तिबार हद कर दी
कराची की बस
मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो
ज़हर बीमार को मुर्दे को दवा दी जाए
अदीब-ओ-शायर-ओ-फ़नकार बोते हैं जो शजर
स्टेज पर पड़ा था जो पर्दा वो उठ चुका
यगाना क्या!