कहीं गोली लिखा है और कहीं मार
ये गोलीमार लिक्खा जा रहा है
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
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जादा-ए-फ़न में बड़े सख़्त मक़ाम आते हैं
मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो
ज़हर बीमार को मुर्दे को दवा दी जाए
अमरीका शेर पढ़ने गए थे हमारे दोस्त
लंदन में जश्न-ए-ग़ालिब
चोर-साहिब से दरख़्वास्त
रिश्वत-ख़ोर सरकारी मुलाज़मीन
चालीस चोर
न मिरा मकाँ ही बदल गया न तिरा पता कोई और है
कराची की बस
लैला मजनूँ की शादी
कराची का क़ब्रिस्तान