अदीब-ओ-शायर-ओ-फ़नकार बोते हैं जो शजर
ये लोग फल कहाँ अपने शजर के देखते हैं
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Gulzar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Javed Akhtar
Anwar Masood
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
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Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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स्टेज पर पड़ा था जो पर्दा वो उठ चुका
जाँ देने को पहुँचे थे सभी तेरी गली में
अमरीका शेर पढ़ने गए थे हमारे दोस्त
मार खाने से मुझे आर नहीं है लेकिन
जो हल्दी से मोहब्बत है तो यारो
तरही ग़ज़ल
चालीस चोर
शायर-ए-आज़म
मुशाइरा में सुनूँ कैसे सुब्ह तक ग़ज़लें
पटाख़ा
वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट
अहमक़ों की कांफ्रेंस