चोर-साहिब से दरख़्वास्त
एक सुर्ख़ी चोर ने घर का सफ़ाया कर दिया
घर जो अपना था उसे बिल्कुल पराया कर दिया
घर के कपड़े रुपया पैसा और तलाई जे़वरात
ले गया है चोर ये सामाँ ब-वक़्त-ए-वारदात
ये जो फ़रमाया कि ग़ाएब हो गए हैं जे़वरात
इस का ये मतलब हुआ चोरों में हैं कुछ ''बेगमात''
है जो उस सामाँ में मजमूआ कोई अशआर का
इस से कुछ अंदाज़ा होगा चोर के मेआर का
क़ीमती सामान में ''मुर्ग़ा'' भी शामिल है अगर
दूसरी लाइन पे सोचेंगे फिर अरबाब-ए-नज़र
चोर-साहिब को पकड़ने में पुलीस हो अब जो फ़ेल
मैं बताऊँ किस तरह मुजरिम को हो सकती है जेल
जिस के घर चोरी हुई है भूल जाए ये रपट
यूँ तो दिल में चोर के हो जाएगी पैदा कपट
नाहक़ उस शहरी के दिल की हसरतों का ख़ून हो
वो अब इक दरख़्वास्त लिक्खे जिस का ये मज़मून हो
चोर-साहिब आप ने तकलीफ़ फ़रमाई थी रात
इत्तिफ़ाक़न सो रहा था मैं ब-वक़्त-ए-वारदात
आप मेरे घर ब-सद-उम्मीद-ओ-अरमाँ आए थे
बल्कि घर में अपने ही मानिंद-ए-मेहमाँ आए थे
आप की ख़ातिर न हो पाई बहुत अफ़सोस है
घर में थी उस वक़्त तंहाई बहुत अफ़सोस है
आप ने ख़ादिम के घर का जो सफ़ाया कर दिया
जिस जगह थी गंदगी रहमत का साया कर दिया
इस सफ़ाई के लिए हम आप के मम्नून हैं
हाँ अभी घर में कई सेह्हत-तलब मज़मून हैं
चोर-साहिब आप को तकलीफ़ तो होगी मगर
फिर सफ़ाया चाहता है कुछ मकानों का गटर
आप फिर तकलीफ़ फ़रमाएँ जो अज़-राह-ए-करम
इस मोहल्ले में ग़रीबों का भी रह जाए भरम
घर को आईना बना दें अब के जब तशरीफ़ लाएँ
वक़्त पहले से बता दें अब के जब तशरीफ़ लाएँ
मेरा अफ़्साना जो ग़ाएब कर दिया है आप ने
इस में अपना रंग भी क्या भर दिया है आप ने
इस का क्या होगा ये जो उनवान आधा रह गया
ये भी लेते जाएँ जो सामान आधा रह गया
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