या रब मिरे नसीब में अक्ल-ए-हलाल हो
या रब मिरे नसीब में अक्ल-ए-हलाल हो
खाने को क़ोरमा हो खिलाने को दाल हो
ले कर बरात कौन सुपर हाईवे पे जाए
ऐसी भी क्या ख़ुशी कि सड़क पर विसाल हो
जल्दी में मुँह से लफ़्ज़ जमालो निकल गया
कहना ये चाहता था कि तुम मह-जमाल हो
औरत को चाहिए कि अदालत का रुख़ करे
जब आदमी को सिर्फ़ ख़ुदा का ख़याल हो
इक बार हम भी राह-नुमा बन के देख लें
फिर उस के बा'द क़ौम का जो कुछ भी हाल हो
हम तो किसी से भीक नहीं माँगते 'फ़िगार'
लेकिन अगर फ़क़ीर की सूरत सवाल हो
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