दिलावर फ़िगार कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का दिलावर फ़िगार
नाम | दिलावर फ़िगार |
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अंग्रेज़ी नाम | Dilawar Figar |
जन्म की तारीख | 1929 |
मौत की तिथि | 1998 |
जन्म स्थान | Karachi |
पटाख़ा
वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट
स्टेज पर पड़ा था जो पर्दा वो उठ चुका
साहब ये चाहते हैं मैं हर हुक्म पर कहूँ
मुशाइरा में सुनूँ कैसे सुब्ह तक ग़ज़लें
मार खाने से मुझे आर नहीं है लेकिन
कहीं गोली लिखा है और कहीं मार
जो हल्दी से मोहब्बत है तो यारो
जाँ देने को पहुँचे थे सभी तेरी गली में
एक शादी तो ठीक है लेकिन
औरत को चाहिए कि अदालत का रुख़ करे
अदीब-ओ-शायर-ओ-फ़नकार बोते हैं जो शजर
अदब को जिंस-ए-बाज़ारी न करना
यगाना क्या!
तरही ग़ज़ल
तमाशा मिरे आगे
शायर-ए-आज़म
शदीद गरमी के मौसम में मुशाइरा
साबिक़ वज़ीर
रिश्वत-ख़ोर सरकारी मुलाज़मीन
मौसीक़ी से इलाज
मर्दुम-गज़ीदा इंसान का इलाज
लंदन में जश्न-ए-ग़ालिब
लैला मजनूँ की शादी
लग गए हैं फ़ोन लगने में जो पच्चीस साल
कराची की बस
कराची का क़ब्रिस्तान
कहा लैला की माँ ने
इश्क़ का परचा
'ग़ालिब' को बुरा क्यूँ कहो