Sad Poetry of Dilawar Ali Aazar
नाम | दिलावर अली आज़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Dilawar Ali Aazar |
जन्म की तारीख | 1984 |
जन्म स्थान | Pakistan |
मैं जब मैदान ख़ाली कर के आया
एक लम्हे के लिए तन्हा नहीं होने दिया
इक दिन जो यूँही पर्दा-ए-अफ़्लाक उठाया
यूँ दीदा-ए-ख़ूँ-बार के मंज़र से उठा मैं
मंज़र से उधर ख़्वाब की पस्पाई से आगे
मख़्फ़ी हैं अभी दिरहम-ओ-दीनार हमारे
लम्हा लम्हा वुसअत-ए-कौन-ओ-मकाँ की सैर की
ख़ुद में खिलते हुए मंज़र से नुमूदार हुआ
कब तक फिरूंगा हाथ में कासा उठा के मैं
हवस से जिस्म को दो-चार करने वाली हवा
हवा ने इस्म कुछ ऐसा पढ़ा था
बना रहा था कोई आब ओ ख़ाक से कुछ और
अक्स मंज़र में पलटने के लिए होता है
अजीब रंग अजब हाल में पड़े हुए हैं