खींच कर अक्स फ़साने से अलग हो जाओ

खींच कर अक्स फ़साने से अलग हो जाओ

बे-नुमू आइना-ख़ाने से अलग हो जाओ

सारा दिन साथ रहो साए की सूरत अपने

शाम होते ही बहाने से अलग हो जाओ

शे'र वो लिक्खो जो पहले कहीं मौजूद न हो

ख़्वाब देखो तो ज़माने से अलग हो जाओ

शाइ'री ऐसे झमेलों से बहुत आगे है

इस नए और पुराने से अलग हो जाओ

नींद में हज़रत-ए-यूसुफ़ को अगर देखा है

ऐन मुमकिन है घराने से अलग हो जाओ

एहतिरामन मिरे हल्क़े में रहे हो शामिल

एहतिमामन मिरे शाने से अलग हो जाओ

उस को तस्वीर करो सफ़हा-ए-दिल पर 'आज़र'

ग़ैब का नक़्श बनाने से अलग हो जाओ

(958) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Khinch Kar Aks Fasane Se Alag Ho Jao In Hindi By Famous Poet Dilawar Ali Aazar. Khinch Kar Aks Fasane Se Alag Ho Jao is written by Dilawar Ali Aazar. Complete Poem Khinch Kar Aks Fasane Se Alag Ho Jao in Hindi by Dilawar Ali Aazar. Download free Khinch Kar Aks Fasane Se Alag Ho Jao Poem for Youth in PDF. Khinch Kar Aks Fasane Se Alag Ho Jao is a Poem on Inspiration for young students. Share Khinch Kar Aks Fasane Se Alag Ho Jao with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.