ये भीगी रात ये ठंडा समाँ ये कैफ़-ए-बहार
ये कोई वक़्त है पहलू से उठ के जाने का
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Rahat Indori
Wasi Shah
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1114) Peoples Rate This
क्या जाने किस ख़याल से छोड़ा प हाल-ए-ज़ार
मायूस-ए-अज़ल हूँ ये माना नाकाम-ए-तमन्ना रहना है
मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है
शबाब ढलते ही आई पीरी मआ'ल पर अब नज़र हुई है
आग़ाज़-ए-मोहब्बत से अंजाम-ए-मोहब्बत तक
कूचा-गर्दी में जवानी जाएगी
असर-ए-इश्क़ से हूँ सूरत-ए-शम्अ ख़ामोश
हम को बेचैन किए जाते हैं
वक़्त-ए-रुख़्सत तसल्लियाँ दे कर
फिर ए'तिबार-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
मैं ग़र्क़ हो रहा था कि तूफ़ान-ए-इश्क़ ने