शबाब ढलते ही आई पीरी मआ'ल पर अब नज़र हुई है
शबाब ढलते ही आई पीरी मआ'ल पर अब नज़र हुई है
बड़ी ही ग़फ़लत में शब गुज़ारी कहाँ पहुँच कर सहर हुई है
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शबाब ढलते ही आई पीरी मआ'ल पर अब नज़र हुई है
बड़ी ही ग़फ़लत में शब गुज़ारी कहाँ पहुँच कर सहर हुई है
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