क्या कहिए दास्तान-ए-तमन्ना बदल गई

क्या कहिए दास्तान-ए-तमन्ना बदल गई

उन की बदलते ही दुनिया बदल गई

ये दौर-ए-इंक़िलाब है ख़ुद-नोशियों का दौर

हर मय-कदे में गर्दिश-ए-मीना बदल गई

हर फूल हर कली पे बरसता है अब लहू

रंगीनी-ए-बहार-ए-चमन क्या बदल गई

निखरी हुई बहार में छाले हैं ख़ूँ-चकाँ

अपने क़दम से क़िस्मत-ए-सहरा बदल गई

पैहम टपक पड़े जो ब-हसरत हुज़ूर-ए-दोस्त

इन आँसुओं से शरह-ए-तमन्ना बदल गई

आज़ादी-ए-जुनूँ का यही क्या मआल था

ज़िंदाँ से दिल-फ़रेबी-ए-सहरा बदल गई

वो ख़्वाब-ए-ज़िंदगी था जो हम देखते रहे

ऐ 'दिल' खुली जब आँख तो दुनिया बदल गई

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