हादसे उम्र-भर आज़माते रहे

हादसे उम्र-भर आज़माते रहे

चोट खा खा के हम मुस्कुराते रहे

यूँ गुज़रता रहा ज़िंदगी का सफ़र

बिन तुम्हारे क़दम डगमगाते रहे

आंधियों से अदावत रही उम्र-भर

हम हवाओं में दीपक जलाते रहे

हज्ज-ओ-तीरथ को जाने से क्या फ़ाएदा

गर बुज़ुर्गों का दिल हम दुखाते रहे

बाँट देगी सियासत हमें दो तरफ़

हम जो मंदिर और मस्जिद बनाते रहे

'देव' पीने का जिस को सलीक़ा न था

मय-कदे उन की क़िस्मत में आते रहे

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Hadse Umr-bhar Aazmate Rahe In Hindi By Famous Poet Devesh Dixit. Hadse Umr-bhar Aazmate Rahe is written by Devesh Dixit. Complete Poem Hadse Umr-bhar Aazmate Rahe in Hindi by Devesh Dixit. Download free Hadse Umr-bhar Aazmate Rahe Poem for Youth in PDF. Hadse Umr-bhar Aazmate Rahe is a Poem on Inspiration for young students. Share Hadse Umr-bhar Aazmate Rahe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.