दीप्ति मिश्रा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का दीप्ति मिश्रा
नाम | दीप्ति मिश्रा |
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अंग्रेज़ी नाम | Deepti Mishra |
यारब तू मुझे मेरे गुनाहों की सज़ा दे
सुनहरी मछली
सुना है ख़ुद को
प्यास
डाइरी
चाहत
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
सब कुछ झूट है लेकिन फिर भी बिल्कुल सच्चा लगता है
मैं ने अपना हक़ माँगा था वो नाहक़ ही रूठ गया
दोनों में कितना फ़र्क़ मगर दोनों का हासिल तन्हाई
बे-हद बेचैनी है लेकिन मक़्सद ज़ाहिर कुछ भी नहीं
अजब कश्मकश है अजब है कशाकश ये क्या बीच में है हमारे तुम्हारे