मुट्ठी में दो-चार नहीं

मुट्ठी में दो-चार नहीं

कोई तेरा यार नहीं

यूँ ही गले लगाएगा

ऐसा तो संसार नहीं

सच्ची बातें लिखता हो

कोई भी अख़बार नहीं

कहता हूँ सो करता हूँ

भाई मैं सरकार नहीं

अपनी राह बनाओ ख़ुद

यूँ तो बेड़ा पार नहीं

पूछ पूछ कर मारेंगे

कह दो मैं बीमार नहीं

चलो तवाइफ़ ग़ाफ़िल है

हम तो इज़्ज़त-दार नहीं

माना कि बेकार हैं 'दीप'

इतने भी बेकार नहीं

(971) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

MuTThi Mein Do-chaar Nahin In Hindi By Famous Poet Deepak Sharma Deep. MuTThi Mein Do-chaar Nahin is written by Deepak Sharma Deep. Complete Poem MuTThi Mein Do-chaar Nahin in Hindi by Deepak Sharma Deep. Download free MuTThi Mein Do-chaar Nahin Poem for Youth in PDF. MuTThi Mein Do-chaar Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share MuTThi Mein Do-chaar Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.