शब की तारीकी बढ़ती ही जाए
शब की तारीकी बढ़ती ही जाए
कौन आता है ज़ुल्फ़ बिखराए
झिलमिलाए सितारों के झुरमुट
किस की पलकों पे अश्क थर्राए
उस की जो बात है निराली है
दिल-ए-नादाँ को कौन समझाए
उन को भूले ज़माना होता है
अश्क आँखों में फिर भी भर आए
दम-ब-ख़ुद सारी काएनात हुई
हम ने वो गीत प्यार के गाए
(757) Peoples Rate This