Love Poetry of Davarka Das Shola
नाम | द्वारका दास शोला |
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अंग्रेज़ी नाम | Davarka Das Shola |
ज़ीस्त बे-वादा-ए-अनवार-ए-सहर है कि जो थी
ज़िंदगी क्या है इब्तिला के सिवा
ज़रा निगाह उठाओ कि ग़म की रात कटे
नहीं कहते किसी से हाल-ए-दिल ख़ामोश रहते हैं
मेरी मंज़िल कहाँ है क्या मा'लूम
मिरी बे-क़रारी मिरी आह-ओ-ज़ारी ये वहशत नहीं है तो फिर और क्या है
इश्क़ में आबरू ख़राब हुई
ग़म को वज्ह-ए-हयात कहते हैं
एक रहज़न को अमीर-ए-कारवाँ समझा था मैं
देख जुर्म-ओ-सज़ा की बात न कर
अपनों के सितम याद न ग़ैरों की जफ़ा याद
अपनी बेचारगी पे रो न सके