Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_80006c411c7cd1e0271a3ee3b53c183c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ज़ीस्त बे-वादा-ए-अनवार-ए-सहर है कि जो थी - द्वारका दास शोला कविता - Darsaal

ज़ीस्त बे-वादा-ए-अनवार-ए-सहर है कि जो थी

ज़ीस्त बे-वादा-ए-अनवार-ए-सहर है कि जो थी

ज़ुल्मत-ए-बख़्त ब-हर-रंग-ओ-नज़र है कि जो थी

इश्क़ बर्बाद-कुन-ए-राहत-ए-दिल है कि जो था

शोख़ी-ए-दोस्त ब-अंदाज़-ए-दिगर है कि जो थी

आज भी कोई नहीं पूछता अहल-ए-दिल को

आज भी ज़िल्लत-ए-अर्बाब-ए-नज़र है कि जो थी

ख़ुद-परस्ती का रिवाज आज भी है आम कि था

रास्ती आज भी मोहताज-ए-असर है कि जो थी

आज भी जज़्बा-ए-इख़्लास परेशाँ है कि था

आज भी दीदा-वरी ख़ाक-बसर है कि जो थी

आज भी इल्म-ओ-हुनर की नहीं कोई वक़अत

अब भी ना-क़द्री-ए-असहाब-ए-हुनर है कि जो थी

आज भी मेहर-ओ-वफ़ा की नहीं क़ीमत कोई

आज भी मंज़िलत-ए-कीसा-ए-ज़र है कि जो थी

कामरानी पे है नाज़ाँ हवस-ए-हेच मदार

आशिक़ी आज भी बा-दीदा-ए-तर है कि जो थी

रूह-ए-इख़्लास तो दर-बंद है बे-पुर्सिश-ए-हाल

मिदहत-ए-हुस्न सर-ए-राहगुज़र है कि जो थी

साफ़-गोई को समझते हैं यहाँ ऐब अब भी

ज़ेहनियत आज भी आलूदा-ए-शर है कि जो थी

अस्प-ए-ताज़ी को मयस्सर नहीं चारा 'शो'ला'

और तन-ज़ेबी-ओ-आराइश-ए-ख़र है कि जो थी

(965) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Zist Be-waada-e-anwar-e-sahar Hai Ki Jo Thi In Hindi By Famous Poet Davarka Das Shola. Zist Be-waada-e-anwar-e-sahar Hai Ki Jo Thi is written by Davarka Das Shola. Complete Poem Zist Be-waada-e-anwar-e-sahar Hai Ki Jo Thi in Hindi by Davarka Das Shola. Download free Zist Be-waada-e-anwar-e-sahar Hai Ki Jo Thi Poem for Youth in PDF. Zist Be-waada-e-anwar-e-sahar Hai Ki Jo Thi is a Poem on Inspiration for young students. Share Zist Be-waada-e-anwar-e-sahar Hai Ki Jo Thi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.