इश्क़ में आबरू ख़राब हुई
इश्क़ में आबरू ख़राब हुई
ज़िंदगी सर-ब-सर अज़ाब हुई
मेरे महबूब तेरी ख़ामोशी
मेरी हर बात का जवाब हुई
थी न आसूदगी मुक़द्दर में
मेहरबानी तो बे-हिसाब हुई
(935) Peoples Rate This
इश्क़ में आबरू ख़राब हुई
ज़िंदगी सर-ब-सर अज़ाब हुई
मेरे महबूब तेरी ख़ामोशी
मेरी हर बात का जवाब हुई
थी न आसूदगी मुक़द्दर में
मेहरबानी तो बे-हिसाब हुई
(935) Peoples Rate This