अपनी बेचारगी पे रो न सके
अपनी बेचारगी पे रो न सके
तेरे क्या होते अपने हो न सके
ज़िंदगी और वो भी माँगे की
हम नदामत का दाग़ धो न सके
ख़ुद-फ़रेबी की इंतिहा ये है
दिल सी बेकार शय भी खो न सके
ना-ख़ुदा के बग़ैर कुछ न बना
अपनी कश्ती भी ख़ुद डुबो न सके
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