दिल कूँ दिलदार के नियाज़ करे
दिल कूँ दिलदार के नियाज़ करे
तन कूँ आराम-ओ-सुख सूँ बाज़ करे
हुए तब राग-ए-इश्क़ सूँ आगाह
रग-ए-जाँ जब कि तार-ए-साज़ करे
इस सुख़न का अजब है अफ़्साना
जो सुने उस कूँ अहल-ए-राज़ करे
सैद करने के तईं कबूतर-ए-इश्क़
ताइर-ए-दिल मिसाल-ए-बाज़ करे
हर्फ़-ए-हक़ पर अगर है दिल साबित
मिस्ल-ए-मंसूर सर नियाज़ करे
आशिक़ाँ कूँ नियाज़ है लाज़िम
नाज़नीं गर अदा सूँ नाज़ करे
शोला-ए-इश्क़ उस पे हुए रौशन
शम्अ साँ दिल कूँ जो गुदाज़ करे
पहुँचने इल्म कूँ हक़ीक़त के
सैर अज़ नुस्ख़ा-ए-मजाज़ करे
कोई उस सर्व-क़द कूँ जा बोलो
दर्स दिखला के सरफ़राज़ करे
खोल कर ज़ुल्फ़-ए-अम्बरीं यक-बार
रिश्ता-ए-शौक़ कूँ दराज़ करे
जो पढ़े तेरे शेर कूँ 'दाऊद'
आख़िरश दिल कूँ इश्क़-बाज़ करे
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