Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_05dffbfa48548065d2842008414c6be7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब से किसी से दर्द का रिश्ता नहीं रहा - दरवेश भारती कविता - Darsaal

जब से किसी से दर्द का रिश्ता नहीं रहा

जब से किसी से दर्द का रिश्ता नहीं रहा

जीना हमारा तब से ही जीना नहीं रहा

तेरे ख़याल-ओ-ख़्वाब ही रहते हैं आस-पास

तन्हाई में भी मैं कभी तन्हा नहीं रहा

आँसू बहे हैं इतने किसी के फ़िराक़ में

आँखों में इक भी वस्ल का सपना नहीं रहा

दरपेश आ रहे हैं वो हालात आज-कल

अपनों को अपनों पर ही भरोसा नहीं रहा

नफ़रत का ज़हर फैला है लेकिन किसी में आज

मिल बैठ सोचने का भी जज़्बा नहीं रहा

दार-ओ-मदार-ए-ज़िन्दगी जिस पर था वो भी तो

जैसा समझते थे उसे वैसा नहीं रहा

ये नस्ल-ए-नौ है इतनी मोहज़्ज़ब कि इस में आज

'दरवेश' गुफ़्तुगू का सलीक़ा नहीं रहा

(1187) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Se Kisi Se Dard Ka Rishta Nahin Raha In Hindi By Famous Poet Darvesh Bharti. Jab Se Kisi Se Dard Ka Rishta Nahin Raha is written by Darvesh Bharti. Complete Poem Jab Se Kisi Se Dard Ka Rishta Nahin Raha in Hindi by Darvesh Bharti. Download free Jab Se Kisi Se Dard Ka Rishta Nahin Raha Poem for Youth in PDF. Jab Se Kisi Se Dard Ka Rishta Nahin Raha is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Se Kisi Se Dard Ka Rishta Nahin Raha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.