Sharab Poetry of Darshan Singh
नाम | दर्शन सिंह |
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अंग्रेज़ी नाम | Darshan Singh |
ये किस ने कह दिया आख़िर कि छुप-छुपा के पियो
वो सलीक़ा हमें जीने का सिखा दे साक़ी
रक़्स करती है फ़ज़ा वज्द में जाम आया है
निगाह-ए-मस्त-ए-साक़ी का सलाम आया तो क्या होगा
कहीं जमाल-ए-अज़ल हम को रूनुमा न मिला
इश्क़ शबनम नहीं शरारा है
हँसी गुलों में सितारों में रौशनी न मिली
दौलत मिली जहान की नाम-ओ-निशाँ मिले
चश्म-ए-बीना हो तो क़ैद-ए-हरम-ओ-तूर नहीं
बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर
आज दिल से दुआ करे कोई