Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5ba5ae3c8a6a226882519f2d09f97526, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ग़म-ए-हयात पे ख़ंदाँ हैं तेरे दीवाने - दर्शन सिंह कविता - Darsaal

ग़म-ए-हयात पे ख़ंदाँ हैं तेरे दीवाने

ग़म-ए-हयात पे ख़ंदाँ हैं तेरे दीवाने

अजीब साहब-ए-इरफ़ाँ हैं तेरे दीवाने

हर एक ज़र्रा-ए-सहरा है आईना-ख़ाना

हुजूम-ए-जल्वा से हैराँ हैं तेरे दीवाने दीवाने

न अपने होश की पर्वा न अपने दर्द का फ़िक्र

ग़म-ए-ज़मीं से परेशाँ हैं तेरे दीवाने

कहाँ ये होश कि औरों की ज़िंदगी पे हँसें

ख़ुद अपने हाल पे ख़ंदाँ हैं तेरे दीवाने

हुजूम-ए-अश्क में छलका रहे हैं पैमाना

हरीफ़-ए-गर्दिश-ए-दौराँ हैं तेरे दीवाने

बहार आते ही क्या जाने उन पे क्या गुज़री

कि ख़ुद से दस्त-ओ-गरेबाँ हैं तेरे दीवाने

कभी तो इक निगह-ए-जाँ-नवाज़ हो जाए

हनूज़ कुश्ता-ए-अरमाँ हैं तेरे दीवाने

निशात-ओ-दर्द में देखा है मैं ने 'दर्शन' को

हर एक हाल में शादाँ हैं तेरे दीवाने

(1283) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gham-e-hayat Pe KHandan Hain Tere Diwane In Hindi By Famous Poet Darshan Singh. Gham-e-hayat Pe KHandan Hain Tere Diwane is written by Darshan Singh. Complete Poem Gham-e-hayat Pe KHandan Hain Tere Diwane in Hindi by Darshan Singh. Download free Gham-e-hayat Pe KHandan Hain Tere Diwane Poem for Youth in PDF. Gham-e-hayat Pe KHandan Hain Tere Diwane is a Poem on Inspiration for young students. Share Gham-e-hayat Pe KHandan Hain Tere Diwane with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.