Friendship Poetry of Darshan Singh
नाम | दर्शन सिंह |
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अंग्रेज़ी नाम | Darshan Singh |
क़ैद-ए-ग़म-ए-हयात से अहल-ए-जहाँ मफ़र नहीं
कहीं जमाल-ए-अज़ल हम को रूनुमा न मिला
कब ख़मोशी को मोहब्बत की ज़बाँ समझा था मैं
जब आदमी मुद्दआ-ए-हक़ है तो क्या कहें मुद्दआ' कहाँ है
इश्क़ शबनम नहीं शरारा है
हँसी गुलों में सितारों में रौशनी न मिली
दौलत मिली जहान की नाम-ओ-निशाँ मिले
चश्म-ए-बीना हो तो क़ैद-ए-हरम-ओ-तूर नहीं
बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर