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मिट्टी था और दूध में गूँधा गया मुझे - दानियाल तरीर कविता - Darsaal

मिट्टी था और दूध में गूँधा गया मुझे

मिट्टी था और दूध में गूँधा गया मुझे

इक चाँद के वजूद में गूँधा गया मुझे

मैं नीस्त और नबूद की इक कैफ़ियत में था

जब वहम-ए-हस्त-ओ-बूद में गूँधा गया मुझे

मैं चश्म-ए-कम-रसा से जिसे देखता न था

उस ख़्वाब-ए-ला-हुदूद में गूँधा गया मुझे

ख़स-ख़ाना-ए-ज़ियाँ की शररबारियों के बा'द

यख़-ज़ार-ए-नार-ए-सूद में गूँधा गया मुझे

इक दस्त-ए-ग़ैब ने मुझे ला चाक पर धरा

फिर वक़्त के जुमूद में गूँधा गया मुझे

इस में तो आसमाँ के शजर भी समर न दें

जिस ख़ाक-ए-बे-नुमूद में गूँधा गया मुझे

क़ौस-ए-क़ुज़ह की सम्त बहुत देखता था मैं

आख़िर गुबार-ओ-दूद में गूँधा गया मुझे

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MiTTi Tha Aur Dudh Mein Gundha Gaya Mujhe In Hindi By Famous Poet Daniyal Tareer. MiTTi Tha Aur Dudh Mein Gundha Gaya Mujhe is written by Daniyal Tareer. Complete Poem MiTTi Tha Aur Dudh Mein Gundha Gaya Mujhe in Hindi by Daniyal Tareer. Download free MiTTi Tha Aur Dudh Mein Gundha Gaya Mujhe Poem for Youth in PDF. MiTTi Tha Aur Dudh Mein Gundha Gaya Mujhe is a Poem on Inspiration for young students. Share MiTTi Tha Aur Dudh Mein Gundha Gaya Mujhe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.