Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d92da8322496001768871b794b8022b3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जरस और सारबानों तक पहुँचना चाहता है - दानियाल तरीर कविता - Darsaal

जरस और सारबानों तक पहुँचना चाहता है

जरस और सारबानों तक पहुँचना चाहता है

ये दिल अगले ज़मानों तक पहुँचना चाहता है

जुनूनी हो गया है मेरे दरियाओं का पानी

पहाड़ों के घरानों तक पहुँचना चाहता है

गुज़रना चाहती है बादलों से मेरी हैरत

मिरा शक आसमानों तक पहुँचना चाहता है

पतंगा एक पागल हो गया है रौशनी में

फ़रिश्तों की उड़ानों तक पहुँचना चाहता है

कसाफ़त ख़त्म कर के जिस्म की मिट्टी का पुतला

ख़ुदा के कार-ख़ानों तक पहुँचना चाहता है

नहीं आया ये अज़दर पर्बतों की सैर करने

ज़मीनों के ख़ज़ानों तक पहुँचना चाहता है

दरिंदे साथ रहना चाहते हैं आदमी के

घना जंगल मकानों तक पहुँचना चाहता है

(931) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jaras Aur Sarbanon Tak Pahunchna Chahta Hai In Hindi By Famous Poet Daniyal Tareer. Jaras Aur Sarbanon Tak Pahunchna Chahta Hai is written by Daniyal Tareer. Complete Poem Jaras Aur Sarbanon Tak Pahunchna Chahta Hai in Hindi by Daniyal Tareer. Download free Jaras Aur Sarbanon Tak Pahunchna Chahta Hai Poem for Youth in PDF. Jaras Aur Sarbanon Tak Pahunchna Chahta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jaras Aur Sarbanon Tak Pahunchna Chahta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.