Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_fbfcc824441803c065c02cefc32cbf19, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बिला-जवाज़ नहीं है फ़लक से जंग मिरी - दानियाल तरीर कविता - Darsaal

बिला-जवाज़ नहीं है फ़लक से जंग मिरी

बिला-जवाज़ नहीं है फ़लक से जंग मिरी

अटक गई है सितारे में इक पतंग मिरी

फिर एक रोज़ मिरे पास आ कर उस ने कहा

ये ओढ़नी ज़रा क़ौस-ए-क़ुज़ह से रंग मिरी

जो काएनात किनारे से जा के मिल जाए

वही फ़राग़-तलब है ज़मीन तंग मिरी

मैं चीख़ते हुए सहरा में दूर तक भागा

न जाने रेत कहाँ ले गई उमंग मिरी

फ़ना की सुर्ख़ दोपहरों में रक़्स जारी था

रगें निचोड़ रहे थे रबाब-ओ-चंग मिरी

लहू की बूँद गिरी रौशनी का फूल खिला

फिर उस के बा'द कोई और थी तरंग मिरी

(988) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Bila-jawaz Nahin Hai Falak Se Jang Meri In Hindi By Famous Poet Daniyal Tareer. Bila-jawaz Nahin Hai Falak Se Jang Meri is written by Daniyal Tareer. Complete Poem Bila-jawaz Nahin Hai Falak Se Jang Meri in Hindi by Daniyal Tareer. Download free Bila-jawaz Nahin Hai Falak Se Jang Meri Poem for Youth in PDF. Bila-jawaz Nahin Hai Falak Se Jang Meri is a Poem on Inspiration for young students. Share Bila-jawaz Nahin Hai Falak Se Jang Meri with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.