Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_754b59dc21e883dd3301f7ad87964927, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शीशे से ज़ियादा नाज़ुक था ये शीशा-ए-दिल जो टूट गया - दानिश फ़राही कविता - Darsaal

शीशे से ज़ियादा नाज़ुक था ये शीशा-ए-दिल जो टूट गया

शीशे से ज़ियादा नाज़ुक था ये शीशा-ए-दिल जो टूट गया

मत पूछो कि मुझ पर क्या गुज़री जब हाथ से साग़र छूट गया

तारीकी-ए-महफ़िल का शिकवा तुम करते हो ऐ दीवानो क्यूँ

ख़ुद शम्अ' बुझा दी है तुम ने ख़ुद-बख़्त तुम्हारा फूट गया

साक़ी की नज़र उठती ही नहीं क्यूँ बादा-ओ-साग़र की जानिब

सरमाया-ए-मय-ख़ाना आ कर क्या कोई लुटेरा लूट गया

महरूमी-ए-क़िस्मत का आलम क्या पूछ रहे हो तुम मुझ से

मंज़िल तो अभी है दूर बहुत और इक इक साथी छूट गया

उठता है 'दानिश' दिल से धुआँ आँखों से टपकते हैं आँसू

क्या आतिश-ए-ग़म देने लगी लौ क्या दिल का फफूला फूट गया

(1810) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Shishe Se Ziyaada Nazuk Tha Ye Shisha-e-dil Jo TuT Gaya In Hindi By Famous Poet Danish Farahi. Shishe Se Ziyaada Nazuk Tha Ye Shisha-e-dil Jo TuT Gaya is written by Danish Farahi. Complete Poem Shishe Se Ziyaada Nazuk Tha Ye Shisha-e-dil Jo TuT Gaya in Hindi by Danish Farahi. Download free Shishe Se Ziyaada Nazuk Tha Ye Shisha-e-dil Jo TuT Gaya Poem for Youth in PDF. Shishe Se Ziyaada Nazuk Tha Ye Shisha-e-dil Jo TuT Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Shishe Se Ziyaada Nazuk Tha Ye Shisha-e-dil Jo TuT Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.