ज़र्रे ज़र्रे में महक प्यार की डाली जाए
बू तअस्सुब की हर इक दिल से निकाली जाए
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Gulzar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(954) Peoples Rate This
अगर मैं उन की निगाहों से गिर गया होता
आख़िरी वक़्त तलक साथ अंधेरों ने दिया
ज़िंदगी कर गई तूफ़ाँ के हवाले मुझ को
क्या ख़बर थी मुन्हरिफ़ अहल-ए-जहाँ हो जाएँगे
वाइज़ तू अगर उन के कूचे से गुज़र जाए
गर तरन्नुम पर ही 'दानिश' मुनहसिर है शाइरी
हो के मजबूर ये बच्चों को सबक़ देना है
मुस्कुरा कर उन का मिलना और बिछड़ना रूठ कर
अपने दुश्मन को भी ख़ुद बढ़ के लगा लो सीने
तेरे फ़िराक़ ने की ज़िंदगी अता मुझ को
रूदाद-ए-शब-ए-ग़म यूँ डरता हूँ सुनाने से