Sharab Poetry of Dagh Dehlvi
नाम | दाग़ देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Dagh Dehlvi |
जन्म की तारीख | 1831 |
मौत की तिथि | 1905 |
जन्म स्थान | Delhi |
वाइज़ बड़ा मज़ा हो अगर यूँ अज़ाब हो
रूह किस मस्त की प्यासी गई मय-ख़ाने से
पूछिए मय-कशों से लुत्फ़-ए-शराब
लुत्फ़-ए-मय तुझ से क्या कहूँ ज़ाहिद
की तर्क-ए-मय तो माइल-ए-पिंदार हो गया
ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं
उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं
उन के इक जाँ-निसार हम भी हैं
तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं
साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें
पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह
फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्यूँकर
पयामी कामयाब आए न आए
निगाह-ए-शोख़ जब उस से लड़ी है
मुझे ऐ अहल-ए-काबा याद क्या मय-ख़ाना आता है
मोहब्बत में आराम सब चाहते हैं
खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से
हाथ निकले अपने दोनों काम के
दिल-ए-नाकाम के हैं काम ख़राब
डरते हैं चश्म ओ ज़ुल्फ़ ओ निगाह ओ अदा से हम
बुतान-ए-माहवश उजड़ी हुई मंज़िल में रहते हैं
भला हो पीर-ए-मुग़ाँ का इधर निगाह मिले
बात मेरी कभी सुनी ही नहीं
अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता