न समझा उम्र गुज़री उस बुत-ए-काफ़र को समझाते
न समझा उम्र गुज़री उस बुत-ए-काफ़र को समझाते
पिघल कर मोम हो जाता अगर पत्थर को समझाते
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न समझा उम्र गुज़री उस बुत-ए-काफ़र को समझाते
पिघल कर मोम हो जाता अगर पत्थर को समझाते
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