फ़सुर्दा-दिल कभी ख़ल्वत न अंजुमन में रहे
फ़सुर्दा-दिल कभी ख़ल्वत न अंजुमन में रहे
बहार हो के रहे हम तो जिस चमन में रहे
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फ़सुर्दा-दिल कभी ख़ल्वत न अंजुमन में रहे
बहार हो के रहे हम तो जिस चमन में रहे
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