बात का ज़ख़्म है तलवार के ज़ख़्मों से सिवा
बात का ज़ख़्म है तलवार के ज़ख़्मों से सिवा
कीजिए क़त्ल मगर मुँह से कुछ इरशाद न हो
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बात का ज़ख़्म है तलवार के ज़ख़्मों से सिवा
कीजिए क़त्ल मगर मुँह से कुछ इरशाद न हो
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