Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_76e569673a208d0766e31ed846812762, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मुझे ऐ अहल-ए-काबा याद क्या मय-ख़ाना आता है - दाग़ देहलवी कविता - Darsaal

मुझे ऐ अहल-ए-काबा याद क्या मय-ख़ाना आता है

मुझे ऐ अहल-ए-काबा याद क्या मय-ख़ाना आता है

उधर दीवाना जाता है इधर मस्ताना आता है

मिरी मिज़्गाँ से आँसू पोछता है किस लिए नासेह

टपक पड़ता है ख़ुद जो इस शजर में दाना आता है

ये आमद है कि आफ़त है निगह कुछ है अदा कुछ है

इलाही ख़ैर मुझ से आश्ना बेगाना आता है

दम-ए-तक़रीर नाले हल्क़ में छुरियाँ चुभोते हैं

ज़बाँ तक टुकड़े हो हो कर मिरा अफ़्साना आता है

रुख़-ए-रौशन के आगे शम्अ' रख कर वो ये कहते हैं

उधर जाता है देखें या इधर परवाना आता है

जिगर तक आते आते सौ जगह गिरता हुआ आया

तिरा तीर-ए-नज़र आता है या मस्ताना आता है

वही झगड़ा है फ़ुर्क़त का वही क़िस्सा है उल्फ़त का

तुझे ऐ 'दाग़' कोई और भी अफ़्साना आता है

(1150) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mujhe Ai Ahl-e-kaba Yaad Kya Mai-KHana Aata Hai In Hindi By Famous Poet Dagh Dehlvi. Mujhe Ai Ahl-e-kaba Yaad Kya Mai-KHana Aata Hai is written by Dagh Dehlvi. Complete Poem Mujhe Ai Ahl-e-kaba Yaad Kya Mai-KHana Aata Hai in Hindi by Dagh Dehlvi. Download free Mujhe Ai Ahl-e-kaba Yaad Kya Mai-KHana Aata Hai Poem for Youth in PDF. Mujhe Ai Ahl-e-kaba Yaad Kya Mai-KHana Aata Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Mujhe Ai Ahl-e-kaba Yaad Kya Mai-KHana Aata Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.