Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b47f65d5a4bf09c1ed0ae2331adfd356, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है - दाग़ देहलवी कविता - Darsaal

लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है

लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है

रंज भी ऐसे उठाए हैं कि जी जानता है

जो ज़माने के सितम हैं वो ज़माना जाने

तू ने दिल इतने सताए हैं कि जी जानता है

तुम नहीं जानते अब तक ये तुम्हारे अंदाज़

वो मिरे दिल में समाए हैं कि जी जानता है

इन्हीं क़दमों ने तुम्हारे इन्हीं क़दमों की क़सम

ख़ाक में इतने मिलाए हैं कि जी जानता है

दोस्ती में तिरी दर-पर्दा हमारे दुश्मन

इस क़दर अपने पराए हैं कि जी जानता है

(1676) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Lutf Wo Ishq Mein Pae Hain Ki Ji Jaanta Hai In Hindi By Famous Poet Dagh Dehlvi. Lutf Wo Ishq Mein Pae Hain Ki Ji Jaanta Hai is written by Dagh Dehlvi. Complete Poem Lutf Wo Ishq Mein Pae Hain Ki Ji Jaanta Hai in Hindi by Dagh Dehlvi. Download free Lutf Wo Ishq Mein Pae Hain Ki Ji Jaanta Hai Poem for Youth in PDF. Lutf Wo Ishq Mein Pae Hain Ki Ji Jaanta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Lutf Wo Ishq Mein Pae Hain Ki Ji Jaanta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.