Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_103c76670190b14aa7432ff8736c48c8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब वो बुत हम-कलाम होता है - दाग़ देहलवी कविता - Darsaal

जब वो बुत हम-कलाम होता है

जब वो बुत हम-कलाम होता है

दिल ओ दीं का पयाम होता है

उन से होता है सामना जिस दिन

दूर ही से सलाम होता है

दिल को रोकूँ कि चश्म-ए-गिर्यां को

एक ही ख़ूब काम होता है

आप हैं और मजमा-ए-अग़्यार

रोज़ दरबार-ए-आम होता है

ज़ीस्त से तंग हैं न छेड़ हमें

देख ग़ुस्सा हराम होता है

लीजे मूसा से लन-तरानी की

अब तो हम से कलाम होता है

'दाग़' का नाम सुन के वो बोले

आदमी का ये नाम होता है

(869) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Wo But Ham-kalam Hota Hai In Hindi By Famous Poet Dagh Dehlvi. Jab Wo But Ham-kalam Hota Hai is written by Dagh Dehlvi. Complete Poem Jab Wo But Ham-kalam Hota Hai in Hindi by Dagh Dehlvi. Download free Jab Wo But Ham-kalam Hota Hai Poem for Youth in PDF. Jab Wo But Ham-kalam Hota Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Wo But Ham-kalam Hota Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.