जब वो बुत हम-कलाम होता है

जब वो बुत हम-कलाम होता है

दिल ओ दीं का पयाम होता है

उन से होता है सामना जिस दिन

दूर ही से सलाम होता है

दिल को रोकूँ कि चश्म-ए-गिर्यां को

एक ही ख़ूब काम होता है

आप हैं और मजमा-ए-अग़्यार

रोज़ दरबार-ए-आम होता है

ज़ीस्त से तंग हैं न छेड़ हमें

देख ग़ुस्सा हराम होता है

लीजे मूसा से लन-तरानी की

अब तो हम से कलाम होता है

'दाग़' का नाम सुन के वो बोले

आदमी का ये नाम होता है

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