Coupletss of Dagh Dehlvi (page 6)
नाम | दाग़ देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Dagh Dehlvi |
जन्म की तारीख | 1831 |
मौत की तिथि | 1905 |
जन्म स्थान | Delhi |
छेड़ माशूक़ से कीजे तो ज़रा थम थम कर
चाह की चितवन में आँख उस की शरमाई हुई
चाक हो पर्दा-ए-वहशत मुझे मंज़ूर नहीं
भवें तनती हैं ख़ंजर हाथ में है तन के बैठे हैं
भरे हैं तुझ में वो लाखों हुनर ऐ मजमअ-ए-ख़ूबी
बे-ज़बानी ज़बाँ न हो जाए
बे-तलब जो मिला मिला मुझ को
बने हैं जब से वो लैला नई महमिल में रहते हैं
बहुत रोया हूँ मैं जब से ये मैं ने ख़्वाब देखा है
बड़ा मज़ा हो जो महशर में हम करें शिकवा
बात तक करनी न आती थी तुम्हें
बात का ज़ख़्म है तलवार के ज़ख़्मों से सिवा
ब'अद मुद्दत के ये ऐ 'दाग़' समझ में आया
अयादत को मिरी आ कर वो ये ताकीद करते हैं
अयादत को मिरी आ कर वो ये ताकीद करते हैं
और होंगे तिरी महफ़िल से उभरने वाले
अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझे
ऐ दाग़ अपनी वज़्अ' हमेशा यही रही
अभी आई भी नहीं कूचा-ए-दिलबर से सदा
अब तो बीमार-ए-मोहब्बत तेरे
आती है बात बात मुझे बार बार याद
आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद
आप पछताएँ नहीं जौर से तौबा न करें
आप का ए'तिबार कौन करे
आओ मिल जाओ कि ये वक़्त न पाओगे कभी