Coupletss of Dagh Dehlvi (page 3)
नाम | दाग़ देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Dagh Dehlvi |
जन्म की तारीख | 1831 |
मौत की तिथि | 1905 |
जन्म स्थान | Delhi |
निगह निकली न दिल की चोर ज़ुल्फ़-ए-अम्बरीं निकली
ना-उमीदी बढ़ गई है इस क़दर
नासेह ने मेरा हाल जो मुझ से बयाँ किया
नहीं खेल ऐ 'दाग़' यारों से कह दो
न समझा उम्र गुज़री उस बुत-ए-काफ़र को समझाते
न रोना है तरीक़े का न हँसना है सलीक़े का
न जाना कि दुनिया से जाता है कोई
मुझ को मज़ा है छेड़ का दिल मानता नहीं
मुझे याद करने से ये मुद्दआ था
मुझ गुनहगार को जो बख़्श दिया
मुअज़्ज़िन ने शब-ए-वस्ल अज़ाँ पिछले पहर
'मीर' का रंग बरतना नहीं आसाँ ऐ 'दाग़'
मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है
मिरी आह का तुम असर देख लेना
मेरे क़ाबू में न पहरों दिल-ए-नाशाद आया
मर्ग-ए-दुश्मन का ज़ियादा तुम से है मुझ को मलाल
मैं भी हैरान हूँ ऐ 'दाग़' कि ये बात है क्या
लुत्फ़-ए-मय तुझ से क्या कहूँ ज़ाहिद
लिपट जाते हैं वो बिजली के डर से
लीजिए सुनिए अब अफ़्साना-ए-फ़ुर्क़त मुझ से
ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा
लज़्ज़त-ए-इश्क़ इलाही मिट जाए
लाख देने का एक देना था
क्यूँ वस्ल की शब हाथ लगाने नहीं देते
क्या पूछते हो कौन है ये किस की है शोहरत
क्या लुत्फ़-ए-दोस्ती कि नहीं लुत्फ़-ए-दुश्मनी
क्या क्या फ़रेब दिल को दिए इज़्तिराब में
क्या क्या फ़रेब दिल को दिए इज़्तिराब में
क्या इज़्तिराब-ए-शौक़ ने मुझ को ख़जिल किया
कोई नाम-ओ-निशाँ पूछे तो ऐ क़ासिद बता देना