Couplets Poetry (page 611)
क्या करूँ ख़िलअत ओ दस्तार की ख़्वाहिश कि मुझे
अब्बास रिज़वी
ख़ौफ़ ऐसा है कि दुनिया के सताए हुए लोग
अब्बास रिज़वी
एक ना-तवाँ रिश्ता उस से अब भी बाक़ी है
अब्बास रिज़वी
बहुत अज़ीज़ थी ये ज़िंदगी मगर हम लोग
अब्बास रिज़वी
अजीब तुर्फ़ा-तमाशा है मेरे अहद के लोग
अब्बास रिज़वी
ख़्वाब-गह में सियाह ख़ुशबू था
अब्बास कैफ़ी
उस से पूछो अज़ाब रस्तों का
अब्बास दाना
तुम आके लौट गए फिर भी हो यहीं मौजूद
अब्बास दाना
है जिस्म सख़्त मगर दिल बहुत ही नाज़ुक है
अब्बास दाना
ज़िंदगी सुंदर ग़ज़ल है दोस्तो
आज़िम कोहली
ये क्या हुआ कि अब तुझी से बद-गुमाँ मैं हो गया
आज़िम कोहली
वो जाते जाते मुझे अपने ग़म भी सौंप गया
आज़िम कोहली
सब्र की तकरार थी जोश ओ जुनून-ए-इश्क़ से
आज़िम कोहली
रंग आ जाता था उन की दीद से रुख़ पर मिरे
आज़िम कोहली
नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं
आज़िम कोहली
मुझे अय्यारियाँ सब आ गई हैं
आज़िम कोहली
मोहब्बत करने वाले दर्द में तन्हा नहीं होते
आज़िम कोहली
मिरे हर ज़ख़्म पर इक दास्ताँ थी उस के ज़ुल्मों की
आज़िम कोहली
मैं जी भर के रोया तो आराम आया
आज़िम कोहली
कौन जाने किस घड़ी याँ क्या से क्या हो कर रहे
आज़िम कोहली
कौन बाँधेगा मिरी बिखरी हुई उम्मीद को
आज़िम कोहली
जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ
आज़िम कोहली
हम ने मिल-जुल के गुज़ारे थे जो दिन अच्छे थे
आज़िम कोहली
हम लकीरें कुरेद कर देखें
आज़िम कोहली
दुख पे मेरे रो रहा था जो बहुत
आज़िम कोहली
देखना कैसे पिघलते जाओगे
आज़िम कोहली
देखा न तुझे ऐ रब हम ने हाँ दुनिया तेरी देखी है
आज़िम कोहली
बात चल निकलेगी फिर इक़रार की इंकार की
आज़िम कोहली
'आज़िम' तेरी बर्बादी में सब ने मिल-जुल कर काम किया
आज़िम कोहली
आदमी को चाहिए तौफ़ीक़ चलने की फ़क़त
आज़िम कोहली