Couplets Poetry (page 299)
बहर-अयादत आए वो लेकिन क़ज़ा के साथ
मोमिन ख़ाँ मोमिन
अब शोर है मिसाल-ए-जुदी इस ख़िराम को
मोमिन ख़ाँ मोमिन
आप की कौन सी बढ़ी इज़्ज़त
मोमिन ख़ाँ मोमिन
उस से मिलने की ख़ुशी ब'अद में दुख देती है
मुईन शादाब
तेरी निगाह तो इस दौर की ज़कात हुई
मुईन शादाब
किसी के साथ गुज़ारा हुआ वो इक लम्हा
मुईन शादाब
कुछ कमाया नहीं बाज़ार-ए-ख़बर में रह कर
मुईन नजमी
ज़ब्त-ए-ग़म बे-सबब नहीं 'जज़्बी'
मुईन अहसन जज़्बी
यूँ बढ़ी साअत-ब-साअत लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-फ़िराक़
मुईन अहसन जज़्बी
यही ज़िंदगी मुसीबत यही ज़िंदगी मसर्रत
मुईन अहसन जज़्बी
या अश्कों का रोना था मुझे या अक्सर रोता रहता हूँ
मुईन अहसन जज़्बी
उस ने इस तरह मोहब्बत की निगाहें डालीं
मुईन अहसन जज़्बी
तू और ग़म-ए-उल्फ़त 'जज़्बी' मुझ को तो यक़ीं आए न कभी
मुईन अहसन जज़्बी
तिरी रुस्वाई का है डर वर्ना
मुईन अहसन जज़्बी
रिसते हुए ज़ख़्मों का हो कुछ और मुदावा
मुईन अहसन जज़्बी
न आए मौत ख़ुदाया तबाह-हाली में
मुईन अहसन जज़्बी
मुस्कुरा कर डाल दी रुख़ पर नक़ाब
मुईन अहसन जज़्बी
मुख़्तसर ये है हमारी दास्तान-ए-ज़िंदगी
मुईन अहसन जज़्बी
मिले मुझ को ग़म से फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना
मुईन अहसन जज़्बी
मेरी ही नज़र की मस्ती से सब शीशा-ओ-साग़र रक़्साँ थे
मुईन अहसन जज़्बी
मेरी अर्ज़-ए-शौक़ बे-मअ'नी है उन के वास्ते
मुईन अहसन जज़्बी
मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ जीने की तमन्ना कौन करे
मुईन अहसन जज़्बी
क्या मातम उन उम्मीदों का जो आते ही दिल में ख़ाक हुईं
मुईन अहसन जज़्बी
कभी दर्द की तमन्ना कभी कोशिश-ए-मुदावा
मुईन अहसन जज़्बी
जो आग लगाई थी तुम ने उस को तो बुझाया अश्कों ने
मुईन अहसन जज़्बी
जब तुझ को तमन्ना मेरी थी तब मुझ को तमन्ना तेरी थी
मुईन अहसन जज़्बी
जब मोहब्बत का नाम सुनता हूँ
मुईन अहसन जज़्बी
जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी साहिल की तमन्ना किस को थी
मुईन अहसन जज़्बी
जब कभी किसी गुल पर इक ज़रा निखार आया
मुईन अहसन जज़्बी
हज़ार बार किया अज़्म-ए-तर्क-ए-नज़्ज़ारा
मुईन अहसन जज़्बी