Couplets Poetry (page 298)
मज्लिस में मिरे ज़िक्र के आते ही उठे वो
मोमिन ख़ाँ मोमिन
मैं भी कुछ ख़ुश नहीं वफ़ा कर के
मोमिन ख़ाँ मोमिन
महशर में पास क्यूँ दम-ए-फ़रियाद आ गया
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ले शब-ए-वस्ल-ए-ग़ैर भी काटी
मोमिन ख़ाँ मोमिन
क्या जाने क्या लिखा था उसे इज़्तिराब में
मोमिन ख़ाँ मोमिन
कुछ क़फ़स में इन दिनों लगता है जी
मोमिन ख़ाँ मोमिन
किसी का हुआ आज कल था किसी का
मोमिन ख़ाँ मोमिन
किस पे मरते हो आप पूछते हैं
मोमिन ख़ाँ मोमिन
कल तुम जो बज़्म-ए-ग़ैर में आँखें चुरा गए
मोमिन ख़ाँ मोमिन
इतनी कुदूरत अश्क में हैराँ हूँ क्या कहूँ
मोमिन ख़ाँ मोमिन
हम समझते हैं आज़माने को
मोमिन ख़ाँ मोमिन
हो गया राज़-ए-इश्क़ बे-पर्दा
मोमिन ख़ाँ मोमिन
हो गए नाम-ए-बुताँ सुनते ही 'मोमिन' बे-क़रार
मोमिन ख़ाँ मोमिन
हाथ टूटें मैं ने गर छेड़ी हों ज़ुल्फ़ें आप की
मोमिन ख़ाँ मोमिन
हँस हँस के वो मुझ से ही मिरे क़त्ल की बातें
मोमिन ख़ाँ मोमिन
है कुछ तो बात 'मोमिन' जो छा गई ख़मोशी
मोमिन ख़ाँ मोमिन
है किस का इंतिज़ार कि ख़्वाब-ए-अदम से भी
मोमिन ख़ाँ मोमिन
हाल-ए-दिल यार को लिखूँ क्यूँकर
मोमिन ख़ाँ मोमिन
हाल दिल यार को लिक्खूँ क्यूँकर
मोमिन ख़ाँ मोमिन
गो कि हम सफ़्हा-ए-हस्ती पे थे एक हर्फ़-ए-ग़लत
मोमिन ख़ाँ मोमिन
गो आप ने जवाब बुरा ही दिया वले
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ैरों पे खुल न जाए कहीं राज़ देखना
मोमिन ख़ाँ मोमिन
एजाज़-ए-जाँ-दही है हमारे कलाम को
मोमिन ख़ाँ मोमिन
दुश्नाम-ए-यार तब्-ए-हज़ीं पर गिराँ नहीं
मोमिन ख़ाँ मोमिन
दीदा-ए-हैराँ ने तमाशा किया
मोमिन ख़ाँ मोमिन
धो दिया अश्क-ए-नदामत ने गुनाहों को मिरे
मोमिन ख़ाँ मोमिन
डरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े
मोमिन ख़ाँ मोमिन
चल दिए सू-ए-हरम कू-ए-बुताँ से 'मोमिन'
मोमिन ख़ाँ मोमिन
चारा-ए-दिल सिवाए सब्र नहीं
मोमिन ख़ाँ मोमिन
बे-ख़ुद थे ग़श थे महव थे दुनिया का ग़म न था
मोमिन ख़ाँ मोमिन