Couplets Poetry (page 296)

कभी दिल की कली खिली ही नहीं

मुबारक अज़ीमाबादी

कब वो आएँगे इलाही मिरे मेहमाँ हो कर

मुबारक अज़ीमाबादी

कब उन आँखों का सामना न हुआ

मुबारक अज़ीमाबादी

जो उन को चाहिए वो किए जा रहे हैं वो

मुबारक अज़ीमाबादी

जो क़यामत का नहीं दिन वो मिरा दिन कैसा

मुबारक अज़ीमाबादी

जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं

मुबारक अज़ीमाबादी

जो लड़खड़ाए क़दम मय-कदे में मस्तों के

मुबारक अज़ीमाबादी

जो दिल-नशीं हो किसी के तो इस का क्या कहना

मुबारक अज़ीमाबादी

जिनाँ की कहते हैं यूँ मुझ से हज़रत-ए-वाइज़

मुबारक अज़ीमाबादी

जबीं पर ख़ाक है ये किस के दर की

मुबारक अज़ीमाबादी

जाँ-निसारान-ए-मोहब्बत में न हो अपना शुमार

मुबारक अज़ीमाबादी

इस भरी महफ़िल में हम से दावर-ए-महशर न पूछ

मुबारक अज़ीमाबादी

ईमान की तो ये है कि ईमान अब कहाँ

मुबारक अज़ीमाबादी

हम भी दीवाने हैं वहशत में निकल जाएँगे

मुबारक अज़ीमाबादी

हज़ारों मय-कदे सर पर लिए हैं

मुबारक अज़ीमाबादी

हवा बाँधते हैं जो हज़रत जिनाँ की

मुबारक अज़ीमाबादी

हँसी है दिल-लगी है क़हक़हे हैं

मुबारक अज़ीमाबादी

गई बहार मगर अपनी बे-ख़ुदी है वही

मुबारक अज़ीमाबादी

इक तिरी बात कि जिस बात की तरदीद मुहाल

मुबारक अज़ीमाबादी

इक मिरा सर कि क़दम-बोसी की हसरत इस को

मुबारक अज़ीमाबादी

दिन भी है रात भी है सुब्ह भी है शाम भी है

मुबारक अज़ीमाबादी

दिल में आने के 'मुबारक' हैं हज़ारों रस्ते

मुबारक अज़ीमाबादी

दिल लगाते ही तो कह देती हैं आँखें सब कुछ

मुबारक अज़ीमाबादी

दामन अश्कों से तर करें क्यूँ-कर

मुबारक अज़ीमाबादी

बिखरी हुई है यूँ मिरी वहशत की दास्ताँ

मुबारक अज़ीमाबादी

बेवफ़ा उम्र दग़ाबाज़ जवानी निकली

मुबारक अज़ीमाबादी

बेश ओ कम का शिकवा साक़ी से 'मुबारक' कुफ़्र था

मुबारक अज़ीमाबादी

असर हो या न हो वाइज़ बयाँ में

मुबारक अज़ीमाबादी

अपनी सी करो तुम भी अपनी सी करें हम भी

मुबारक अज़ीमाबादी

अब वही सैद है जो था सय्याद

मुबारक अज़ीमाबादी

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